आओं तुम्हें बताऊं खेल पुराना कुछ ऐसा ही था हमारा जमाना टूटी हुई चप्पल के पहिए बनाना पंचर वाली टायर ट्यूब से उसके छल्ले लगाना दौड़ हमारी थी, लेकिन डंडी वाली गाड़ी का जीत जाना ईंट का घिस-घिस कर लट्टू बनाना फिर चीर की सुताई से उसको नचाना टक्कर मार- मार कर प्रतिद्वंदी का लट्टू हराना कुछ ऐसा ही था हमारा जमाना आओं तुम्हें बताऊं खेल पुराना टायर के साथ हाथ की थाप से दौड़ लगाना गुड्डा और गुड़िया का ब्याह करवाना कबाड़े से गोला-पाक और बर्फ खाना कुछ ऐसा ही था हमारा जमाना बत्ती आने पर जोर से एक साथ शौर मचाना अंधरे में छुपन छिपाई का तो है खेल पुराना सोने से पहले चिराग को जोर वाली फूंक से बुझाना बरसात में कागज की नांव बनाना फिर चींटे की उस पर सवारी कराना सुबह शाम जब जंगल जाते थे जेब में रखकर आम और ककड़ी लाते थे अपने खेत में तरबूज होते हुए दूसरे के चुराना कुछ ऐसा ही था हमारा जमाना आओं तुम्हें बताऊं खेल पुराना बिन मौसम भी बाग में फल आते थे जब हम वहां खेल खेलने जाते थे बगिया में वो खटिया पर नजर लगाना बाबा को परेशान कर भाग जाना तालाब- नदी में डुबकी लगाकर नहाना बैल भैंसिया की पूछ कर नदी पार कर जाना प
Blog of Journalist Nihal Singh