- सीलिंग का आंखो देखा हाल अक्सर जब भी चोट लगती है तो डॉक्टर चोट के हिस्से पर बहते हुए खून को रोकने के लिए डिटॉल लगाकर लगाकर खून को रोक देता है। और मरहम लगाकर पट्टी कर देता है। ताकि चोट जल्दी ठीक हो जाए। लेकिन दिल्ली में यह मरहम वाली पट्टी चोट को ठीक करने की बजाय घांव बढ़ा रही है। यह घांव व्यापारियों के दुकानों की सीलिंग की वजह से बढ़ रहे हैं। जो वर्षो से अपनी दुकान चला रहे थे। व्यापारी सीलिंग के डर से पहले ही खौफ में थे, लेकिन अचानक सीलिंग का दस्ता आकर उनकी भी दुकानें सील कर रहा है। और दुकान के दरवाजे पर लगे ताले पर इस तरह से पट्टी कर रहा है जैसे डॉक्टर गंभीर जख्म के बाद जख्म को पट्टी पर लगे मरहम से ढकने की कोशिश करता है। चोट पर पट्टी इसलिए ज्यादा लगाई जाती है ताकि चोट जल्द ठीक हो सके। लेकिन निगम का सीलिंग दस्ता ताले पर पट्टी इसलिए ज्यादा लगा रहा है ताकि व्यापारी पर सीलिंग का जख्म ज्यादा दिन तक रहे। कई जगह इस पट्टी को लगाने के लिए कील भी ठोंकी जा रही है तकि उस रस्सी बांध कर इसे लगाया जा सके। क्योंकि दशक भी बीत जाए तो पट्टी न गले भले ही दरवाजा गल जाए। निगम द्वारा पट्टीलगाने के बाद
Blog of Journalist Nihal Singh