भारत में पत्रकारिता करना नहीं है आसान, ये दो बीट्स हैं सबसे खतरनाक भारत उन पत्रकारों की मदद करने और उनकी रक्षा करने में विफल रहा है जो हिंसक धमकियों या फिर अपने काम के प्रति हमलों का सामना कर रहे हैं। ये कहना है पत्रकारों की सुरक्षा पर नजर रखने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था का, जिसने सोमवार को अपनी एक रिपोर्ट जारी की है। न्यूयार्क की संस्था ‘द कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ (सीपीजे) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया है कि उसने 1992 से भारत में पत्रकारों की हत्याओं के 27 मामल ों का अध्ययन किया और उनमें से एक में भी किसी को सजा नहीं हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन 27 पत्रकारों में से 50% से ज्यादा पत्रकार भ्रष्टाचार संबंधी मामलों पर खबरें करते थे। 42 पन्नों की इस विशेष रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में रिपोर्टरों को काम के दौरान पूरी सुरक्षा अभी भी नहीं मिल पाती है। सीपीजे ने अपनी रिपोर्ट में भ्रष्टाचार और राजनीति को दो ‘सबसे खतरनाक बीट’ बताया गया है। सीपीजे ने कहा कि पिछले 10 साल में उसे सिर्फ एक ही ऐसा मामला मिला जिसमें एक पत्रकार की हत्या के मामले में एक संदिग्ध का अभियोजन
Blog of Journalist Nihal Singh